BJP देशभर में निकालेगी स्नेह यात्रा, पसमांदा मुसलमानों पर नजर, जानें PM मोदी ने क्यों छेड़ा पसमांदा का जिक्र?

आजमगढ-रामपुर में BJP को जिताने में पसमांदा मुसलमानों की बड़ी भागीदारी

BJP देशभर में जल्द ही स्नेह यात्रा निकालने वाली है. हाल ही में PM मोदी ने हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान इस बात का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि ​​अल्पसंख्यकों में जो वंचित और कमजोर तबका है, उनके बीच जाकर अपनी पहुंच बनानी चाहिए. मोदी की इस अपील को सियासी गलियारों में पसमांदा मुसलमानों से जोड़ कर देखा जा रहा है. पसमांदा को मुस्लिमों का पिछड़ा-दलित तबका माना जाता है. कुल मुस्लिम आबादी में इनका हिस्सा करीब 80% है. यूपी BJP प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी कहते हैं कि विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी को 8% पसमांदा समुदाय का वोट मिला है. यही वजह है कि मिशन 2024 के लिए BJP पसमांदा मुसलमानों को साधने में जुट गई है.

‘पसमांदा’ शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, जिसका मतलब है- समाज में पीछे छूट गए लोग. भारत में पिछड़े और दलित मुस्लिमों को पसमांदा कहा जाता है. पसमांदा की शुरुआत जानने के लिए ‘ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज’ के संस्थापक और राज्यसभा सांसद रहे अली अनवर अंसारी से बात हुई तो उन्होंने दावा किया कि फारसी और उर्दू के इस शब्द का पहली बार इस्तेमाल उन्होंने ही किया है. अली अनवर कहते हैं कि मुस्लिम समाज भी जातियों में बंटा है जो मुस्लिम जातियां सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी हैं, उन्हें पसमांदा मुस्लिम कहते हैं. इनमें वो जातियां भी शामिल हैं जिनसे छुआछूत होती है, लेकिन यह हिंदू दलितों की तरह अनूसूचित जातियों यानी SC की सूची में शामिल नहीं हैं. अलग-अलग जातियों में बंटे पिछड़े मुस्लिमों को ‘जाति से जमात’ की नीति पर एकजुट करने के लिए पसमांदा शब्द की शुरुआत हुई थी. अब भारतीय मुस्लिमों में पसमांदा मुस्लिमों की आबादी 80% से 85% है.

2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में करीब 17 करोड़ मुस्लिम हैं. अंदाज के मुताबिक फिलहाल यह आंकड़ा करीब 20 करोड़ है. प्यू रिसर्च के मुताबिक भारतीय मुस्लिमों में 85% से लेकर 87% सुन्नी हैं. 2019 लोकसभा चुनाव के बाद पसमांदा मुस्लिमों के भारतीय राजनीति में हिस्सेदारी को लेकर सवाल खड़े होने लगे. एक रिपोर्ट के मुताबिक 1947 से लेकर 14वीं लोकसभा तक कुल 7,500 सांसद बने, जिनमें से 400 मुस्लिम थे. हैरानी की बात यह है कि इनमें से 340 सांसद अशरफ यानी उच्च मुस्लिम जाति के थे और सिर्फ 60 मुस्लिम सांसद पसमांदा समाज से रहे हैं.

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