साहित्य, अध्यात्म के साथ आजादी आंदोलन में जिले की भूमिका प्रभावशाली थी- नगर विधायक श्री रत्नाकर मिश्र

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विन्ध्याचल के पुरोहितों ने ब्रिटिश शासकों का छक्का छुड़ाया था- श्री मिश्र

नगर विधायक का जनसम्पर्क रथ रहता है निरन्तर भ्रमणशील

मिर्जापुर। जनसम्पर्क के जरिए जनसमस्याओं से रुबरु होने के नगर विधायक श्री रत्नाकर मिश्र के अभियान के चलते त्वरित प्रशासनिक कार्रवाई से जनता को तात्कालिक राहत तो मिलती ही है। यही कारण था कि गत बुधवार को भारी वर्षा होने पर नगर के बूढ़ेनाथ मुल्ल्ले में जलजमाव से भगवान बूढ़ेनाथ मंदिर में नाली का पानी जाने लगा था जिससे श्रद्धालुओं की आस्था आहत हो रही थी। श्री मिश्र के इस अभियान के चलते उक्त जटिल समस्या का प्रशासन ने त्वरित समाधान निकाला था। कारण यह कि विधायक श्री मिश्र ने इसकी जानकारी DM श्री प्रवीण कुमार लक्षकार को उसी दिन दे दी थी, जिसे गंभीरता से लेते हुए DM ने ADM श्री शिवप्रताप शुक्ल को समस्या का हल निकालने का दायित्व दिया। लगातार दो दिनों तक ADM श्री शुक्ल, नगरपालिका परिषद के EO श्री अंगद गुप्ता एवं गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारियों ने इलाके का निरीक्षण किया, जलजमाव की स्थितियों का अवलोकन कर इसके समाधन के लिए युद्ध-स्तर पर कार्य भी शुरू करा दिया।

विन्ध्याचल के पुरोहितों ने ब्रिटिश शासकों से मोर्चा लिया था

 रविवार, 24 जुलाई को नगर विधायक श्री मिश्र का जनसम्पर्क-रथ तिवराने टोला पहुंचा। साहित्यिक संस्था डॉ भवदेव पांडेय शोध संस्थान में पहुंचे विधायक श्री मिश्र मिर्जापुर के इतिहास, साहित्य और आध्यात्मिक महत्ता को बढ़ावा देने के मूड में रहे। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश-काल की ज्यादतियों का सशक्त विरोध यहां होता रहा है । खासकर विन्ध्याचल में उस वक्त के पुरोहितों ने डटकर विरोध ही नहीं किया बल्कि ब्रिटिश शासकों द्वारा किए जा रहे अपमान का शारीरिक ताकत के बल पर प्रतिरोध भी किया और कई बार इन उदण्ड शासकों पर हाथ भी चलाया था।

गजेटियर में उल्लेख है कि ब्रिटिश SDM डरकर चुनार में छुपा था

उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश शासन में प्रकाशित गजेटियर में भी इसका उल्लेख है कि विन्ध्याचल के पंडा समाज से डरकर अंग्रेज SDM चुनार किले में जाकर छुप गया था। यह 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध की घटना है।

आदिवासी समाज का मूल स्थान विंध्य-अंचल ही है

नगर विधायक श्री मिश्र की चर्चा का उद्देश्य इस क्षेत्र की महिमा को नई पीढ़ी को अवगत कराने का प्रतीत हुआ। श्री मिश्र ने पौराणिक काल के अनेक संदर्भों का भी उल्लेख किया और कहा कि आदिवासी समाज का यह क्षेत्र था । रामचरितमानस में भी गोस्वामी तुलसीदास ने भगवान राम की मदद में कोल-किरातों के योगदान का उल्लेख किया है। 

जलमार्ग से व्यवसाय होता था इस क्षेत्र से

इसी के साथ श्री मिश्र ने नागवंश, कंतित नरेश दानू रैया की उत्तम कार्यशैली, यहां के कपास उद्योग, जलमार्ग से कलकत्ता तक व्यवसायिक सामग्रियों की आवाजाही तथा परशुराम गिरि के प्रभुत्व की चर्चा की। संस्थान में साकेत पांडेय और विभाव पांडेय ने इन जानकारियों के लिए नगर विधायक के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।

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