
पाकिस्तान ने दावत-ए-इस्लामी के जरिये 2500 से ज्यादा लोगों का स्लीपर सेल खड़ा किया,
राजस्थान के उदयपुर आतंकी हमले की तह तक पहुंचने में जुटी एजेंसियों को देश में सक्रिय आतंक के बड़े नेटवर्क का पता चला है. इंटेलिजेंस ब्यूरो से जुड़े सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान ने दावत-ए-इस्लामी के जरिये 2500 से ज्यादा लोगों का स्लीपर सेल खड़ा कर लिया है. यह देश में आतंक का अब तक का सबसे बड़ा नेटवर्क है. उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्या के मुख्य आरोपी रियाज अत्तारी व गौस मोहम्मद इसी का हिस्सा हैं. स्लीपर सेल के अधिकांश लोग राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, एमपी, बिहार, गुजरात व केरल के हैं.
नेटवर्क के तार सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया से भी जुड़े हैं, जो पीएफआई का राजनीतिक फ्रंट है. यह खुलासा रियाज व गौस की कॉल डिटेल में सामने आए पाकिस्तान के 18 नंबरों की पड़ताल से हुआ है. इन नंबरों से देश के 25 राज्यों के 300 लोगों की पिछले कई साल से लगातार बात हो रही है. इनकी कॉल डिटेल में लगभग 4000 संदिग्ध नंबर मिले हैं. इन्हें खंगालने पर शुरुआती तौर पर 2500 से ज्यादा ऐसे लोगों की पहचान हुई है, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध हैं.
आईबी के अनुसार आतंक के इस नेटवर्क से पीएफआई भी जुड़ा है. इसका संगठन एसडीपीआई सियासी मुद्दों में स्लीपर सेल को काम में लेता है. नूपुर शर्मा के खिलाफ एसडीपीआई ने देशभर में प्रदर्शन किए थे. कन्हैयालाल की हत्या के मुख्य आरोपी रियाज अत्तारी 2019 में इस संगठन से जुड़ा था. इसी मामले में एनआईए ने जिस फरहाद मोहम्मद शेख को पकड़ा है, वह भी एसडीपीआई का सदस्य है. संगठन के ज्यादातर लोग सिमी कैडर और एहले हदीस व सलाफी विचारधारा से प्रभावित हैं. गौरतलब है कि आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा भी एहले हदीत को मानता है.
खुफिया एजेंसी के अनुसार दावत-ए-इस्लामी धार्मिक शिक्षा के के नाम पर भारत में हर साल 10 लाख लोगों को कट्टरता का पाठ पढ़ाता है. यह काम ऑनलाइन व ऑफलाइन होता है. एक टीम उन लोगों को निगरानी रखते हैं, जिनका ब्रेनवॉश करना आसान है. ऐसे लोगों को कई स्तरों पर आगे की ट्रेनिंग मिलती है. सोशल मीडिया पर नफरत भरे वीडियो व मैसेज भेजे जाते हैं. जो कट्टरता के पैमाने पर सबसे ऊपर होते हैं, उन्हें स्लीपर सेल में शामिल कर पाक में स्पेशल ट्रेनिंग भी दी जाती है.