अजित यादव तहसील प्रभारी रिपोर्टर कुशीनगर
कुशीनगर। थाना दलालों का अड्डा बनता जा रहा है, जहां दलाल किस्म के लोग अक्सर बैठे मिलेंगे, जिन्हें इंतजार रहता है कि कब कोई दुखिया आये,जिसे ये हाईजैक करके बलि का बकरा बना सकें और अपनी व कानून के कुछ भ्रष्ट नुमाईंदों की जेब भर सकें। यही वजह है कि संगीन मामलों में भी मैनेज के खेल पर महज़ एनसीआर दर्ज होता है, जिसके चलते पीड़ितों को भारी दुश्वारियों से गुजर कर आला अधिकारियों का चक्कर काटना पड़ता है। जहां जांच की आंच मे न्याय की आवाज दब जाती है, और पीड़ित से गुस्साए थाने की पुलिस वही करती है जो वह करना चाहती है। परिणाम स्वरूप थानों से उठ रहे मैनेज की सैलाब में फंसकर पीड़ित दर दर की ठोकरें खाकर सिसकियां भर रहे हैं, जिनका कोई पुरसा हाल नही है।
सूत्रों के अनुसार बड़े दलालों की टोली सुबह व शाम में हाईकमान से मिलते हैं, और बड़ी डिलिंग करते हैं, और सुबह 10 बजे से शाम तक रुकने वालो के जिम्मे छोटी मोटी घटनाओं की डीलिंग होती हैं। थानों पर कुछ पुलिस वाले इनका वेलकम करके चाय नाश्ता करवाते हैं, सूत्रों के मुताबिक इसके बाद शुरू होता है पीड़ितों को बलि का बकरा बनाने का खेल, बस कोई इन्हें नजर आ जाये तो फिर इनकी चांदी हो जाती है। हैरानी की बात तो यह है कि यहां के जिम्मेदार इनसे यह भी नही पूछते की सुबह से शाम तक आप थाना किसलिए रखाते हैं। थानों में इन दिनों दलालों की चांदी है और फरियादी बेहाल हैं। फरियादियों को अपनी बात कहने के लिए दलालों के पास से होकर गुजरना पड़ता है। शासन के फरमान के बाद भी पुलिस और फरियादियों के बीच का रिश्ता नहीं सुधर रहा है। इसके कारण फरियादी पुलिस के पास जाने से कतराते हैं और इसका बेजा फायदा थाने में सक्रिय दलाल उठाते हैं। यह फरियादियों का काम कराने के एवज में मोटी रकम वसूलते हैं और उसमें साहब भी खुश और दलाल भी मालामाल हो रहे हैं। थाने में कुछ दलाल अपनी गहरी पैठ बना बैठे हैं। थानाध्यक्ष कोई भी रहे, उनके संबंध हमेशा से ही मधुर रहते हैं,क्यों कि दलाल साहब को एक मोटी रकम दिलाते हैं, जिसका प्रतिफल उन्हें भी मिल ही जाता है। पटहेरवा, तरयासुजान व सेवरही की बात ही निराली हैं तो अन्य थाने भी अछूते नही है। जबकि हर थानों पर मोटी लाइन में लिखा होता हैं कि दलाल प्रवेश वर्जित…..
उसके बावजूद भी …….?