ब्यूरो रिपोर्ट नई दिल्ली
पहली बार इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का इस्तेमाल करते हुए यह ट्रेन कजाखस्तान और तुर्कमेनिस्तान से होते हुए ईरान पहुंची है।
यह ट्रेन अब तक 3,800 किलोमीटर का सफर तय कर चुकी है। इसमें माल ढोने वाले 39 कंटेनर लदे हैं, जिन्हें भारत लाया जाना है। ईरानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक देश के सरखास रेलवे स्टेशन पर बुधवार को यह ट्रेन आकर रुकी,जो तुर्कमेनिस्तान की सीमा से लगता है। इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर 7,200 किलोमीटर लंबा मल्टी मोड ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट है।
इसके जरिएईरान,भारत,अर्मेनिया,अफगानिस्तान,अजरबैजान, रूस,यूरोप और सेंट्रल एशिया तक माल की आवाजाही हो सकेगी।
इसी कॉरिडोर के जरिए रूस से भारत यह माल आ रहा है। भारत की ओर से इस परियोजना का समर्थन किया जा रहा है। ईरान के सरखास रेलवे स्टेशन पहुंची रूसी ट्रेन से माल ढोने वाले कंटेनरों को बंदर अब्बास पोर्ट पर पहुंचाया जाएगा, जो स्टेशन से 1,600 किलोमीटर की दूरी पर है। वहां तक रेलवे लाइन है और उसके बाद इन कंटेनरों को समुद्री जहाज में लादकर भारत के लिए रवाना किया जाएगा।
रूस से भारत के लिए सामान लेकर पहुंची इस ट्रेन के स्वागत के लिए ईरान में एक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था। इसमें ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर,उद्योग मंत्री,तेल मंत्री और खुद उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबेर भी मौजूद थे।
तेहरान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति मोखबेर ने कहा कि ईरान अपने पड़ोसी देशों के साथ कारोबारी रिश्तों को बढ़ाने के लिए तत्पर है। भारत के लिए सामान लाने वाली ट्रेन 6 जुलाई को रूस के चेखोव स्टेशन से रवाना हुई थी और कजाखस्तान एवं तुर्कमेनिस्तान से होते हुए कुल 3,800 किलोमीटर का सफर तय कर ईरान पहुंची।
भारत और रूस के बीच यह कारोबारी ट्रेन ऐसे वक्त में अपना सफर तय कर रही है, जब यूक्रेन में युद्ध चल रहा है। इससे साफ है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते पश्चिमी जगत के विरोध के बाद भी कितनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। बता दें कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले सप्ताह ईरान पहुंचने वाले हैं। इस दौरान वह क्षेत्र में कनेक्टिविटी को लेकर भी बात करेंगे।