सतीश कुमार मौर्य
लखनऊ
जब हम ख़ुद ही हैं कोतवाल तो भय काहे का ये लाइन इंस्पेक्टर गुडंबा कुलदीप सिंह गौर पर एकदम फिट बैठती है
क्रूरता की सारी हदें पार करने वाले इंस्पेक्टर शायद ये भूल रहे हैं की टॉप थ्री थानों में शुमार गुडंबा थाने का एक इतिहास ये भी बनता जा रहा है की
यहां से ज़रा भी विवादों के घेरे में रहने वाला कोई भी इंस्पेक्टर इंसाफ का प्रसाद लिए बिना नहीं होता रवाना
बीती रात खाना खाकर निकल रहे पत्रकार को पीटकर किमिश्नरेट पुलिस की कराई किरकिरी वर्दी के रौब में बिना वजह पत्रकार को पीटा
इंस्पेक्टर गुडंबा के प्रति पत्रकारों में भारी आक्रोश बेलगाम इंस्पेक्टर पर कार्यवाही करने की कर रहे मांग
आपको बताते चले की बीते महीनों रिंग रोड पर दिनदहाड़े गोली चलाकर बदमाशों ने उत्तरी ज़ोन में फैलाई थी दहशत
जिसमें सही मायने में देखें तो तीन थानों के अंतर्गत लगातार दिनदहाड़े कार सवारों को दौड़ा कर बाइक सवार गोलियां चलाते रहे कसूर वार तीन थानों मड़ियांव जानकीपुरम गुडंबा की पुलिस हुई
मुख्यमंत्री के संज्ञान लेने के बाद इंस्पेक्टर गुडंबा सतीष चंद्र साहू को मिली सजा और अधिकारियों को छोटे मोटे गुडवर्क का मक्खन पॉलिश लगाकर गुमराह करने वाले इंस्पेक्टर जानकीपुरम रहे कुलदीप सिंह गौर को तोहफे में मिला उत्तर प्रदेश के टॉप थ्री थानों में शुमार थाना गुडंबा
फिर क्या था थाना गुडंबा की कमान मिलते ही साहब के तेवर आसमान में गोते लगाने लगे अपनी सारी तहजीब और अदब सब रख दिए अपने पुराने थाने जानकीपुरम की ताक पर
सूत्रों के मुताबिक विवादों से रहा है इनका पुराना नाता इनकी बदतमीजी का सिलसिला लगातार रहा जारी किसी भी पत्रकार से सीधे मुंह नहीं करते बात किसी भी घटना की जानकारी के लिए किया जाए फ़ोन तो भी नहीं रिसीव होता इनका सीयूजी नंबर इनके मुंह लगे दो चार पत्रकारों के अलावा इनकी नज़र में सारे पत्रकार हैं बेकार किसी को भी नहीं देंगे सम्मान
अब देखना दिलचस्प ये है की ऐसे बे लगाम इंस्पेक्टर पर क्या होगी कार्यवाही या हमेशा की तरह जांच का लॉलीपॉप देकर अधिकारी अपना पल्ला लेंगे झाड़