मनोचिकित्सक बुद्ध ने सदैव मानव की पीड़ा एवं कष्ट का किया निवारण
अप्प दीपो भव: एवं मझिम प्रतिपदा से मानव मन को किया जाग्रित
ब्यूरो रिपोर्ट भदोही
#वैश्विककोरोनासंकटकालएवंबुद्धकीप्रासंगिकता
मानवता एवं करुणा के सागर, एशिया के ज्योतिपुंज, तथागत, महात्मा बुद्ध को भारत भूमि का प्रणाम🙏
आपका….. राजकुमार #सिद्धार्थ से महात्मा #बुद्ध बनना ही मानवता का कल्याण है।
*कोरोना वायरस का उद्भव – भौतिकवादी जीवनशैली एवं अनियंत्रित खानपान का दुष्परिणाम है जिसका निवारण हमें बुद्ध की शिक्षाओं में दर्शित होता है।
*बुद्ध एक #मनोचिकित्सक की तरह लोगों के कष्ट, पीड़ा, निराशा को दूर करने के लिए रोग, निदान, स्वस्थता एवं उपचार की क्रिया पद्धति को अपनाते हैं जिसका व्यावहारिक उपाय #चारआर्यसत्य ….दुख ,दुख समुदाय ,दुख निरोध ,दुख निरोध गामिनी प्रतिप्रदा द्वारा करते हैं।
*कोरोना संकट की इस घड़ी में सक्षम लोगों को #बोधिसत्व की भूमिका में आकर दान द्वारा गरीबों एवं भूखों की मुक्ति का प्रयास करना चाहिए।
*आज जब सांप्रदायिक हिंसा एवं सामाजिक कुप्रथाए सभ्य समाज के लिए खतरा बनी हुई है तो हमें बुद्ध का #धम्म एवं सहिष्णुता की बात याद आती है।
*”बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता है “की तरह बुद्ध ने #अप्पदीपोभव: का चिंतन दिया अर्थात अपना दीपक स्वयं बनो। आशय यह है कि व्यक्ति को अपने जीवन यात्रा में न्याय -अन्याय, अच्छे – बुरे, धर्म – अधर्म, नैतिक- अनैतिक का निर्णय स्वयं करना चाहिए।
*सांप्रदायिक एवं धार्मिक उग्रता तथा हठधर्मिता के लिए उनका #मजझिमप्ररिपदा अर्थात#मध्यम_मार्ग हमें एक संतुलन जीवन की ओर प्रशस्त करता है। जीवन का आनंद संतुलन में ही है जैसे – वीणा के तार को इतना ना कसो कि टूट जाए और इतना ढील भी मत छोड़ो कि स्वर ही ना निकले।
*उपभोक्तावादी संस्कृति के लिए #दुखसमुदाय अर्थात दुख का कारण तृष्णा या इच्छा है। सभी की अंधाधुंध इच्छाओं की पूर्ति में हम अपने न्यायपूर्ण वितरण एवं प्राकृतिक संसाधनों का लोप करते जा रहे हैं इसके लिए हमें #अष्टागिकमार्ग का अनुसरण करते हुए #सम्यक_ दृष्टिसम्यकसंकल्पऔरसम्यक_ वाणी पर बल देना चाहिए।
*आज दुनिया को आतंकवाद, जातिवाद, नक्सलवाद, धार्मिक उन्माद जैसी सामाजिक कुरीतियों के निवारण में हमें बुद्ध की सत्य, अहिंसा, शांति, करूणा, सेवा भाव, संवेदना को आत्मसात करने की जरूरत है।
#बुद्धम शरणम गच्छामि
#धम्मम शरणम गच्छामि
#संघम शरणम गच्छामि
डॉ. पंकज कुमार
ज़िला सूचना अधिकारी
(**बुद्ध पूर्णिमा पर दो वर्ष पूर्व मेरे द्वारा लिखा गया लेख )